नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि मानहानि क्या होती है और मानहानि पर सजा क्या होगी ? अक्सर हम लोग जाने अनजाने में किसी व्यक्ति के बारें में ऐसी बात बोल जाते है कि वह उस व्यक्ति की मान प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने वाली बन जाती है।
मानहानि किसी व्यक्ति, व्यवसाय, उत्पाद, धर्म, समूह, सरकार या राष्ट्र की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने वाला कथन जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है , मानहानि कहलाती है। इसको लेकर आपके मन में कई सावला आ रहे होंगे जैसे कि :-
- मानहानि किसे कहते है ?
- मानहानि के प्रकार कितने है ?
- मानहानि होती कैसे है ?
- मानहानि कब मानहानि नहीं मानी जाएगी ?
- मानहानि के लिए कार्यवाही क्या होगी ?
- मानहानि के लिए सजा क्या होगी ?
- मानहानि का बचाव कैसे होता है ?
इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे विस्तार से। +
मानहानि क्या है ?
मानहानि यानी किसी व्यक्ति, उत्पाद , समूह , धर्म , सरकार या राष्ट्र के प्रति ऐसे असत्य कथन , वचन या चित्र प्रकाशित कर समाज में प्रतिष्ठित प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने के आशय से किया गया कार्य , मानहानि कहाँ जयएगा।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 के अनुसार जो कोई व्यक्ति कुछ बोल कर, या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरुपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारें में कोई लांछन इस आशय से लगाता है या प्रेषित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अफनी की जाये या यह जानते हुये या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता हैए या प्रकाशित करता है म ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी उसके बारेम कहा जाता है कि उस व्यक्ति की मानहानि करता है।
लेकिन इस धारा 356 के तहत मानहानि के कुछ अपवाद है , जो कि यह निर्धारित करते है कि कब मानहानि नहीं होगी।
मानहानि के प्रकार कितने है ?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के अध्ययन करने से मानहानि के प्रकार के ज्ञात होते है , जो कि तीन तरह से हो सकेगी :-
- लिखित।
- मौखिक।
- चित्र।
1. लिखित मानहानि :- जब किसी व्यक्ति के प्रति किसी प्रकार की अपमानजनक टिपण्णी या कथन लिखित में प्रकाशित किया जाता है ,जिसे उस व्यक्ति ख्याति को हानि हुई , तो ऐसे में इसे लिखित मानहानि कहा जाता है।
2. मौखिक मानहानि :- जब किसी व्यक्ति के प्रति किसी प्रकार का अपमानजनक टिपण्णी , कथन बोल कर शब्दों द्वारा किया जाता है जिसे उस व्यक्त की ख्याति की हानि होती है , तो ऐसे में इसे मौखिक मानहानि कहा जाता है।
3. दृश्यरुपणो / चित्र :- जब किसी व्यक्ति के प्रति किसी प्रकार की अपमानजनक टिपण्णी , कथन चित्रों द्वारा दृश्य बना कर किया जाता है जिससे उस व्यक्ति की ख्याति को हानि पहुचंती है , तो ऐसे में दृश्यरुपणो / चित्र मानहानि कहा।
मानहानि होती कैसे है ?
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 के स्पष्टीकरण में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि मानहानि होती कैसे है और किसे कहते मानहानि हुई है ?
- किसी मृत व्यक्ति के प्रति कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा यदि वह लांछन उस व्यक्ति की ख्याति को क्षति करता , यदि वह जीवित होता और उसके परिवार या अन्य निकट सम्बन्धियों की भावनाओं को उपहत करने के लिए आशयित हो।
- किसी कंपनी या संगम या व्यक्तियों के समूह के सम्बन्ध में उसकी वैसी हैसियत में कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगी।
- अनुकल्प के रूप में या व्यंगोक्ति के रूप में अभिव्यक्त लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा।
मानहानि कब मानहानि नहीं मानी जाती है ?
- लांछन सत्य हो।
- लोक कल्याण के लिए हो,
- सद्भावपूर्वक अभिव्यक्ति हो,
- सद्भावपूर्वक परिनिन्दा करना ,
- कार्यवाहियों के परिणाम की सही रिपोर्ट,
- किसी विषय वस्तु के सम्बन्ध में विधिपूर्ण प्राधिकार रखते हो,
- एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को सद्भावपूर्वक सावधान करना,
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 में 10 अपवादों का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार मानहानि , मानहानि नहीं मानी जाएगी।
- किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में किसी ऐसी बात का लांछन लगाना जो की सत्य हो मानहानि नहीं है , यदि यह लोक कल्याण के लिए हो कि वह लांछन लगाया जाये या प्रकाशित किया जाये। लांछन लोक कल्याण के लिए है या नहीं यह तथ्य का प्रश्न है।
- लोक सेवक के आचरण के विषय में उसके लोक कृत्यों के निर्वहन में या उसके शील के विषय में , जहाँ तक उसका शील उस आचरण से प्रकट होता है न की उससे आगे , कोई राय , चाहे कुछ भी हो , सदभावपूर्वक अभिव्यक्ति मानहानि नहीं है।
- किसी लोक प्रश्न के सम्बन्ध में किसी व्यक्ति के आचरण के विषय में और उसके शील के बोशी में , जहाँ तक कि उसका शील उस आचरण से प्रकट होता ही , न की उससे आगे , कोई राय , चाहे वह कुछ भी , सदभावपूर्वक अभिव्यक्ति करना मानहानि नहीं है।
- किसी न्यायालय की कार्यवाहियों या किन्ही ऐसी कार्यवाहियों के परिणाम की की सारतः सही रिपोर्ट को प्रकाशित करना मानहानि है है।
- किसी ऐसे मामले में गुणागुण के विषय में वह सिविल हो या दाण्डिक , जो किसी न्यायायलय द्वारा विनिश्चित हो चूका हो या किसी ऐसे मामले के पक्षकार, साक्षी या अभिकर्ता के रूप में किसी व्यक्ति के आचरण के विषय में या ऐसे व्यक्ति केशील के विषय में , जहाँ तक की उसका शील उस आचरण से प्रकट होता हो ,न की उससे आगे , कोई राय , चाहे वह कुछ भी हो , सद्भावपूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है।
- किसी ऐसी कृति के गुणागुण के विषय में , जिसको उसके करता ने लोक के निर्णय के लिए रखा हो , यया उसके करता के शील के विषय में ,जहाँ तक उसका शील उस आचरण से प्रकट होता हो , न की उससे आगे , कोई राय , चाहे कुछ भी हो सद्भावपूर्वक अभिव्यक्ति मानहानि नहीं है।
- किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा , जो किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर कोई ऐसा प्राधिकार रखता हो , जो या तो विधि द्वारा पप्रदत्त हो या उस अन्य व्यक्ति के साथ की गयी किसी विधिपूर्ण संविदा से उद्भूत हो , ऐसे विषयो में , जिनसे कि ऐसा विधिपूर्ण प्राधिकार सम्बंधित हो , उस अन्य व्यक्ति के आचरण की सदभावपूर्वक की गयी कोई परिनिन्दा मानहानि नहीं है।
- किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोग ऐसे व्यक्तियों में से किसी व्यक्ति के समक्ष सद्भावपूर्वक लगाना , जो उस व्यक्ति के ऊपर अभियोग की विषय वस्तु के सम्बन्ध में विधिपूर्ण प्राधिकार रखते हो मानहानि नहीं है।
- किसी अन्य पर लांछन लगाना मानहानि नहीं है परन्त यह तब जबकि उसे लगाने वाले व्यक्ति के या किसी अन्य के हित के लिए या लोक कल्याण के लिए वह लांछन सद्भावपूर्वक लगाया गया हो।
- एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्तिओ के विरुद्ध सद्भावपूर्वक सावधान करना मानहानि नहीं नहीं है , परन्तु या तक जब कि ऐसी सावधानी उस व्यक्ति की भलाई के लिए , जिसे वह दी गयी हो या किसी ऐसे व्यक्ति की भलाई के लिए जिससे वह व्यक्ति हितबद्ध हो या लोक कल्याण आशयित हो।
मानहानि के लिए कार्यवाही क्या है ?
यदि कोई, किसी व्यक्ति, समूह , कंपनी , संगम के लिए कोई असत्य वचन, लेख या चित्र प्रकाशित कर लांछन लगाता है और उससे उसकी ख्याति को हानि होती है , तो ऐसे में पीड़ित आरोपित व्यक्ति के खिलाफ सिविल या दाण्डिक या दोनों कार्यवाही कर क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय में वाद दायर न्याय प्राप्त कर सकता है।
मानहानि के लिए जो कार्यवाही की जाती है वो निम्न है :-
1. कानूनी नोटिस : मानहानि करने वाले व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेज कर उसको, उसके द्वारा किये गए कृत्य के सम्बन्ध में जानकारी देना , जिससे उस व्यक्ति की ख्याति को हानि हुई है जो मन प्रतिष्ठा समाज में थी। कानूनी नोटिस के माध्यम से मानहानि करने वाले व्यक्ति को एक मौका दिया जाता है , ताकि वह अपने कहे गए कथन या प्रकाशित चित्र के सम्बन्ध में माफ़ी मांग ले और ऐसे कृत्य को वापस ले।
यदि इस नोटिस का उचित जवाब प्राप्त नहीं होता तो पिडीत व्यक्ति न्याय के लिए न्यायालय में वाद दायर करने के स्वतंत्र है।
2. सिविल मुकदमा :- यदि मानहानि से किसी व्यक्ति, समूह कंपनी या संगम को आर्थिक क्षति हुई है तो आर्थिक क्षति के नुकसान की पूर्ति के लिए सिविल रिकवरी सूट दायर पर आर्थिक क्षति की मांग न्यायालय के जरिये कर सकता है।
3. आपराधिक मुकदमा :- यदि किसी व्यक्ति के बोल, लेखन या चित्र प्रकाशित करने से किसी व्यक्ति, समूह , कंपनी या संगम की ख्याति को क्षति हुई है और ऐसी क्षति से उस व्यक्ति की मान प्रतिष्ठा जो समाज में थी वह अब है है , तो ऐसे दाण्डिक कार्यवाही के लिए आपराधिक न्यायालय में वाद दायर कर न्याय प्राप्त कर सकती है।
4. अदालती कार्यवाही :- न्यायालय में मानहानि का वाद दायर होगा उसके बाद :-
- दोनों पक्षकारों को हाजिर होने के लिए नोटिस,
- अपने अपने पक्ष को साबित करने का अवसर।,
- पक्षकारों और गवाहों की गवाही ,
- साक्ष्य प्रस्तुतिकरण ,
- अंतिम बहस ,
- कोर्ट का आदेश
अब कोर्ट न्यायिक कार्यवाही कर सभी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य और गवाहों के बयान और अन्य प्रासांगिक तथ्यों के आधार पर अपना निर्णय सुना सकती है , जिसमे आरोपी व्यक्ति दोषी या निर्दोष साबित हो सकता है। दोषी होने में सजा का प्रावधान है।
मानहानि के लिए सजा क्या है ?
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 उपधारा 2 , उपधारा 3 , व् उपधारा 4 में दंड का प्रावधान किया गया है जो कि निम्न है :-
1.जो कोई किसी अन्य व्यक्ति मानहानि करेगा उसे सजा 2 वर्ष तक कारावास की सजा या जुर्माना या दोनों से या सामुदायिक सेवा से दण्डित किया जायेगा।
2. जो कोई किसी बात को यह जानते हुए या विश्वास करने का अच्छा कारण रखते हुए कि ऐसी बात से किसी व्यक्ति के लिए मानहानिकारक है , मुद्रित केगा या उत्कीर्ण करेगा , उसे 2 वर्ष तक कारावास की सजा या ज़ुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
3. जो कोई किसी मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ को , मानहानिकारक विषय अंतर्विष्ट है या जानते हुए कि उसमे ऐसा विषय अंतर्विष्ट है , बेचता या बेचने की प्रस्थापना करता है उसे 2 वर्ष तक कारावास की सजा या जुर्माना से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
मानहानि से बचाव के क्या रस्ते है ?
मानहानि करने वाले व्यक्ति के पास बचाव जे ये रस्ते है कि उसे यह निम्न तथ्यों को साबित करना होगा :-
- बोल , लेख या चित्र प्रकाशन सत्य है ,
- लोक कल्याण में था,
- सदभावपूर्वक अभिव्यक्ति थी,
- सदभावपूर्वक परिनिन्दा थी ,
- कार्यवाही के परिणाम की सही रिपोर्ट ,
- कार्य विधिपूर्वक प्राधिकारी की सिमा के अंतर्गत था,
- सावधानी के लिए सदभावपूर्वक अभिव्यक्ति थी,
अन्य ऐसे साक्ष्य जो साबित कर सके की मानहानि , मानहानि की कोटि में नहीं आती है।
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